कहाँ है मेरा हिंदुस्तान, मैं उसको ढूंढ रहा हूँ..

मेरे शहर सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) के मशहूर शायर और गंगा-जमुनी तहज़ीब के गीतकार अजमल सुल्तानपुरी साहब के दो प्रसिद्ध गीत….

[1】

मुसलमां और हिंदू की जान
कहां है मेरा हिंदुस्तान
मैं उसको ढूंढ रहा हूं
मैं उसको ढूंढ रहा हूं

मेरे बचपन का हिंदुस्तान
न बंग्लादेश न पाकिस्तान
मेरी आशा मेरा अरमान
वो पूरा-पूरा हिंदुस्तान
मैं उसको ढूंढ रहा हूं

वो मेरा बचपन, वो स्कूल
वो कच्ची सड़कें, उड़ती धूल
लहकते बाग, महकते फूल
वो मेरा खेत, मेरा खलिहान
मैं उसको ढूंढ रहा हूं

मुसलमां और हिंदू की जान
कहां है मेरा हिंदुस्तान
मैं उसको ढूंढ रहा हूं

वो उर्दू गजलें, हिंदी गीत
कहीं वो प्यार, कहीं वो प्रीत
पहाड़ी गीतों के संगीत
दिहाती लहरा, पुरबी तान
मैं उसको ढूंढ रहा हूं
मैं उसको ढूंढ रहा हूं

वो उर्दू गजलें, हिंदी गीत
कहीं वो प्यार, कहीं वो प्रीत
पहाड़ी गीतों के संगीत
दिहाती लहरा, पुरबी तान
मैं उसको ढूंढ रहा हूं
मैं उसको ढूंढ़ रहा हूं

जहां के कृष्ण, जहां के राम
जहां की श्याम सलोनी शाम
जहां की सुबह बनारस धाम
जहां भगवान करैं स्नान
मैं उसको ढूंढ रहा हूं
मुसलमां और हिंदू की जान
कहां है मेरा हिंदुस्तान
मैं उसको ढूंढ रहा हूं

जहां थे तुलसी और कबीर
जायसी जैसे पीर फकीर
जहां थे मोमिन, गालिब, मीर
जहां थे रहमत और रसखान
मैं उसको ढूंढ रहा हूं

मुसलमां और हिंदू की जान कहां है मेरा हिंदुस्तान

वो मेरे पुरखों की जागीर
कराची, लाहौर और कश्मीर
वो बिल्कुल शेर की सी तस्वीर
वो पूरा-पूरा हिंदुस्तान
मैं उसको ढूंढ रहा हूं

जहां की पाक-पवित्र जमीन
जहां की मिट्टी खुल्दनशीन
जहां महाराज मोईनुउद्दीन
गरीब नवाज हिंदुस्तान
मुसलमां और हिंदू की जान
कहां है मेरा हिंदुस्तान
मैं उसको ढूंढ रहा हूं

ये भूखा शायर, प्यासा कवि
सिसकता चांद, सुलगता रवि

ये भूखा शायर, प्यासा कवि
सिसकता चांद, सुलगता रवि
वो जिस मुद्रा में ऐसी छवि
करा दे अजमल को जलपान
मैं उसको ढूंढ रहा हूं
मुसलमां और हिंदू की जान कहां है मेरा हिंदुस्तान

यहां सुने!

【2】

मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल
आ तुझे प्यार की अनमोल निशानी दे दूँ

हाय ये नाज़ ये अंदाज़ ये ग़मजां ये गुरूर
इसने पामाल किए कितने शहंशाहों के ताज
नीमबाज़ आँखों में ये कैफ़ ये मस्ती ये शूरुर
पेश करते हैं जिसे अहले नज़र दिल का खिराज
ये तबस्सुम ये तकल्लुम ये सलीका ये शऊर
शोख़ संजीदा है या दार हँसी सादामिजाज़
आ तेरे वास्ते तामील करूँ ताजमहल

आ तुझे प्यार की अनमोल निशानी दे दूँ
मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल

मोगरा, मोतियारा बेल-चमेली चम्पा
सौसनों, यासमनो, नश्तरनो, सर्वसमन
रातरानी, गुले मचकन, गुले नशरीं, सहरा
फूल लब, फूल दहन, फूल जतन, फूल बदन
मेरी सूरजमुखी, गुल चाँदनी, जूही, बेला
हरसिंगारो गुल, कचनार औ गुलनार चमन
मेरी नरगिस, मेरी गुल शब मेरी फूल कमल

आ तुझे प्यार की अनमोल निशानी दे दूँ
मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल

शमा, खुर्शीद, कमर बर्क, शरर, सैयारे
है तेरे ही रुख़-ए-अनवार की इन सबमें चमक
लाल याकूत शफ़क फूल है ना अंगारे
है तेरे ही लब-ओ-रुख़सार की है इन सबमें झलक
वही उड़ते हुए छींटे हैं ये जुगनू सारे
तेरे सागर से अज़ल ही में गए थे वो छलक
बादा-ए-हुस्न मेरे जाम-ए-शफ़क रंग में ढल

आ तुझे प्यार की अनमोल निशानी दे दूँ
मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल

यहाँ सुने।

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Published by Dileep Mishra

जब मैंने हिन्दी में लिखना शुरू किया तो स्कूल और कॉलेज वाले कुछ दोस्त हंसते थे. वो हँसते रहे और मैं लिखता रहा. हाथपाई तक कभी नहीं की है. गाली-गलौच कभी नहीं की है. बातों से ही लतियाने का सदा प्रयास रहता है. जो हूँ सो हूँ..दूसरों को क्या फ़र्क पड़ता है परवाह नहीं. लिखता हूँ क्योंकि लिखना पसंद है, पढ़ना पसंद है.

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